दर्द निवारक एलोपैथिक दवायें और उसके साईड इफेक्ट

Monday, September 7, 2009

दर्द निवारक एलोपैथिक दवायें और उसके साईड इफेक्ट
पॉप की दुनिया के सरताज माइकल जैक्सन की पिछले दिनों हुई असमय मौत की सबसे बड़ी वजह जानते हैं आप ? उनकी मौत ' पेनकिलर्स विद नारकोटिक्स ' लेने की वजह से हुई।
जाहिर है , किसी भी तरह के दर्द में तुरंत राहत देने वाली इन जादुई गोलियों की मार बड़ी भयानक होती है। ऐसे में बेहतर यह है कि अचानक होने वाले दर्द से राहत के लिए आयुर्वेद और होम्योपैथी का सहारा लिया जाए।
बात बात पर सरदर्द,हाथ पैरों का दर्द, दाँत दर्द आदि के लिए एलोपैथिक दर्द निवारक दवा ले लेने का सलाह लोग न सिर्फ देते है ब्लकि स्वंय लेते है. आम केमिस्ट भी सरदर्द के लिए आम पेनकिलर को बिना किसी बिपरीत प्रभाव पर ध्यान दिये ,लोगों को धडल्ले से देते हैं, आम आदमी भी इन दर्द निवारक दवाओं के तत्काल प्रभाव के कारण ,इस्तेमाल करने मे नहीं हिचकते है.
क्या हैं पेनकिलर्स
पेनकिलर्स या एनाल्जेसिक वे दवाएं हैं , जिनका इस्तेमाल दर्द से राहत पाने में किया जाता है। इन्हें बनाने में मॉर्फिन जैसे नारकोटिक्स , नॉन स्टेरॉइडल ऐंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स और एसेटैमिनोफेन जैसे नॉन नारकोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है।
कैसे करती हैं काम पेनकिलर्स
पेनकिलर्स दो तरह से काम करती हैं।
1. ब्रेन की ओर जाने वाले दर्द के सिग्नल को ब्लॉक कर देती हैं , जिससे रोगी को दर्द का अहसास नहीं हो पाता।
2. ब्रेन में सिग्नल के इंटरप्रिटेशन सिस्टम में छेड़छाड़ कर देती हैं और रोगी को लगता है कि उसे दर्द से राहत मिल गई।
क्यों होता है एडिक्शन ..
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पेनकिलर्स दर्द में तुरंत राहत पहुंचाती हैं। यही वजह है कि इंसान जरा - सी दिक्कत होते ही इनका इस्तेमाल करने लगता है और धीरे - धीरे उसे इनकी आदत पड़ जाती है। - लंबे समय तक इस्तेमाल करने से दिमाग व शरीर इन दवाओं पर निर्भर करने लगते हैं। इस स्थिति को एडिक्शन यानी लत कहते हैं। कुछ दवाओं को लेने से मूड अच्छा होता है और नींद भी आती है। लगातार लेते रहने से ये दवाएं अल्कोहल का काम करने लगती हैं।
क्या हैं नुकसान और साइडइफेक्ट्स ..
-जरूरत से ज्यादा लेने पर पेनकिलर्स घातक हो सकती हैं। एक साल तक अगर पेनकिलर्स को रोज इस्तेमाल किया जाए , तो यह बेहद नुकसानदायक हो सकती हैं। एसिटामिनोफेन के इस्तेमाल से लिवर डैमिज होने का खतरा काफी ज्यादा होता है।
- जिंदगी में एक हजार से ज्यादा पेनकिलर्स खाने से किडनी खराब हो सकती है। अगर आपको सौ साल जीना है , तो साल में दस गोली से ज्यादा कभी न लें।
- पेनकिलर्स लगातार लेते रहने से किडनी और लिवर में जहर बन सकता है। पेट में ब्लीडिंग भी हो सकती है।
- इसके अलावा , उबकाई आना , सुस्ती , मुंह सूखना , अचानक ब्लड प्रेशर कम होना और कब्ज जैसी शिकायतें भी हो सकती हैं। कई बार कन्फ्यूजन और भ्रम की स्थिति , बेहोशी , धीमी हार्ट रेट , तेज हार्ट रेट , मांसपेशियों में जकड़न , लिवर और यूट्रस में दिक्कत व रेस्पिरेटरी डिप्रेशन की स्थिति भी आ सकती है।
- कुछ पेनकिलर्स दमा को भी बढ़ा सकती हैं।
-प्रसिद्ध दर्द निवारक दवा Nimuslide अधिकांश देशों मे प्रतिबंधित है पर यह भारत मे आम दर्द निवारक दवा के रुप मे जानी जाती है, के ज्यादा व्यवहार के कारण लीवर के खराब (Lever Failure) होने की संभावना होती है.

मैं हैनिमैन का शुक्र्गुजार हुँ कि होम्योपैथिक जैसी निर्दोष और पावरफुल चिकित्सा पद्धति का गिफ्ट हमें दिया.. इसमे बहुत सारे दर्द निवारक दवायें है जो कि बिना किसी साइड इफेक्ट के आपको दर्द से आराम दिला सकती है. यह सही है कि होम्योपैथिक मे दर्द निवारक दवा का चुनाव एलोपैथिक जितना आसान नहीं है. होम्योपैथिक दवा दर्द के कारण को ही मिटाती है पर एलोपैथिक दर्द निवारक दवाये ब्रेन की ओर जाने वाली दर्द के सिग्नल को ब्लाक कर के दर्द के अहसास को मिटाती है वो भी कुछ देर के लिए.
कुछ दर्द निवारक जैसे कैमोमिला, काफिया, आर्सेनिक , एकोनाईट, बेलाडोना, विरेट्रम एल्बम, ग्लोनाइन, स्पाइजेलिया, रसट्क्स, आदि ढेर सारे दर्द निवारक दवायें है जो रोगी के शारीरिक , मानसिक लक्षण और मियाज्म के आधार पर दिया जाता है.
इन दवाओं के बारे मे अगले पोस्ट मे लिखुगाँ.