सफर के दौरान होने वाली परेशानी (Motion Sickness)

Saturday, November 7, 2009
बस टैक्सी में सफर के दौरान हम आये दिन कुछ यात्रियों को उल्टियां करते देखते है. उनमे ज्यादा सख्याँ महिलाओं या बच्चों कि ही होती है. कुछ पुरुष भी बस या टैक्सी मे सफर के दौरान बेचैनी, जी मिचलाने के साथ उल्टिया करते दिख जाते है. पर रेलगाडी मे सफर के दौरान उन्हें कुछ नहीं होता है. जिसके कारण वैसे लोग बस या टैक्सी को छोड रेल से यात्रा करना पसंद करते है. सडक यात्रा के दौरान होने वाला यह लक्षण एक बीमारी है जिसे अंग्रेजी मे Motion Sickness या सफर के दौरान होने वाली बीमारी बताया गया है. इसे समझने के लिए शरीर के कुछ अगों और सफर के दौरान उ़समे होने बाले हलचलों को समझना होगा.

1) कान का भीतरी भाग :- कान के भीतरी भाग र्धचन्द्राकार नली (Semicircular canal) का द्रव, सफर के दौरान शरीर की पल पल बदलने वाली स्थिति यथा उपर-नीचे, दायें बायें, आगे पीछे, चक्राकार, को sense कर दिमाग को खबर करती है.

2) आँखे : आँखे ही शरीर के वास्तविक स्थिति के बारे में दिमाग को जानकारी देती है कि आप किस दिशा में चल रहें है.

3) त्वचा की संवेदनशील ग्रन्थियाँ :- ये ग्रन्थियाँ दिमाग को बताती है की शरीर का कौन सा भाग जमीन के संपर्क मे है.

4) मांसपेशियाँ और जोडों कॊ संवेदनशील ग्रन्थियाँ : ये संवेदनशील ग्रन्थियाँ सफर के दौरान, शरीर के मांसपेशियाँ और जोडों मे होने वाली हलचल तथा शरीर की वास्तविक स्थिति के वारे में दिमाग को हर पल खबर देती है.

हमारा दिमाग उपरोक्त अंगों से प्राप्त सुचनाओं के द्वारा शरीर के विभिन्न स्थितियों मे एक समग्र रुपरेखा तैयार करती है कि उस तात्कालिक क्षण में शरीर की क्या स्थिति थी. सडक मार्ग से यात्रा के दौरान प्रत्येक क्षण शरीर की स्थिति मे परिवर्तन होता रहता है और उपरोक्त अंग पल प्रतिपल बदल रही शरीर की स्थिति, दिशा और दशा , दिमाग को प्रेषित करते रहते है. जिस द्रुत गति से उपरोक्त अंग दिमाग को सुचनाएं प्रेषित करती है, यदि दिमाग उसी द्रुत गति से, प्राप्त सुचनाओं में तालमेल नहीं बैठा पाता है तो Motion Sickness की स्थिति आती है.

एक उदाहरण के रुप में इसे समझा जा सकता है:- आप कार/बस से कहीं जा रहें हैं और अपनी सीट पर एक किताब/समाचार पत्र पढ रहे हैं, इस स्थिति में आपके कान का आन्तरिक भाग sense कर रहा है कि आप आगे जा रहें हैं/ आगे की ओर चल रहें हैं और आपके दिमाग को आपकी पल पल बदलती स्थिति के बारे में सुचित कर रही हैं, परन्तु आपकी आँखें पढने मे व्यस्त हैं और उसमे कोई हलचल नहीं है साथ ही साथ मांसपेशियाँ और जोडों की संवेदनशील ग्रन्थियाँ दिमाग को सुचित कर रही है कि आप स्थिर बैठें हैं, इस स्थिति मे दिमाग उपरोक्त अंगों से प्राप्त सुचनाओं मे कोई तालमेल नहीं बैठा पाता है और दिमाग मे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

इस स्थिति में आप बेचैन और थका हुआ सा अनुभव करने लगेगें, पेट के अन्दर हलचल होने लगेगा और बाहर की ओर वेग उत्पन्न होने लगेगा, बडे वेग से उल्टीयाँ होने लगेगा. स्थिति बिगड कर गंभीर रुप ले सकती है.

निन्म उपायों से Motion Sickness से कुछ हद तक बचा जा सकता है.
1
) गाडी मे बैठ कर चेहरे को हमेशा आगे की ओर रखें. आँखों को सदा गाडी के चाल की दिशा मे रखें . इससे आँख और कान के द्वारा sense की गई स्थिति मे अन्तर नही होता है.
पीछे मुँह वाली सीट पर कभी न बैठे.
पीछे की ओर न देखें.

2) हमेशा बाहर की ओर देखें, दूर की वस्तुएं देखें . इससे आपकी आँखे यह sense नहीं कर सकेगी की आप स्थिर हैं. लगातार बदलते दृश्य हमेशा motion को sense करेगी.

3) किसी बडी गाडी यथा, नाव, हवाई जहाज आदि मे बैठने समय हमेशा ऎसी जगह बैठे जहाँ कम से कम हलचल हो, सबसे अच्छा बीच मे बैठें.

4) पेट साफ रखें, कब्ज की स्थिति मे आमाशय मे ढेर सारा अनपचा पदार्थ पडा रहता है जो वेग की अवस्था में तेजी से बाहर निकलता है.
सबसे अच्छा है कोई दवा जो motion sickness मे राहत दे सदा अपने पास रखें. आपातकाल के लिए एक प्लास्टिक बैग अपने पास रखें यात्रा के दौरान, गाडी में उल्टियाँ होने पर यह बैग काम आयेगी.
 
मै खुद Motion Sickness का शिकार रहा हुँ. बस/टैक्सी से सफर करते समय काफी परेशानी होती थी. कुछ किलोमीटर की दुरी का सफर भी कठीन लगता था. कई एलोपैथिक दवाओं का व्यवहार किये कोई खास लाभ नहीं हुआ पर एक दवा
AVOMINE (Promethazine theoclate) सबसे अधिक उपयोगी है. मै avomine का दो टेबलेट हमेशा अपने पास रखता हुँ. परन्तु इससे नींद आ जाती है. अत: ड्राईविंग करते वक्त बिल्कुल न लें.
दवायें:-
नक्स भोमिका (Nux Vomica) :- Motion Sickness के अधिकांश व्यक्ति इससे ठीक हो जाते है. यात्रा के दो घंटे पहले इसकी दो खुराकें (दो बुन्द दवा जीभ पर) एक एक घंटे पर ले लें. इसका मुख्य लक्षण, तेज सिरदर्द के साथ वमन और चक्कर आना होने का है.

काक्युलस इंडिका (Coculus Indica):- नक्स वोनिका के बाद दुसरी सबसे प्रभावी दवा काक्युलस है. सुस्ती, च्क्कर आना, उल्टियाँ होना, वमन की इच्छा बनी रहना, आदि मुख्य लक्षण है.रोगी व्यक्ति अकेला रहना और लेटना चाहता है. कोई भी गंध, दृश्य, भोजन का विचार आने से भी वमन और वमन की इच्छा ्बनी रहना (Nausea) .

पेट्रोलियम (Petrolium) : मुँह मे लगातार लार (Saliva) आना, चेहरा पीला पडना, चेहरा ठंडे पसीने से तरबतर हो जाना, पेट मे sensation होना. बेचैनी , वमन होना और वमन की इच्छा बनी रहना आदि इसके मुख्य लक्षण है.

मेरा अनुभव है कि यात्रा शुरु होने के दो घंटे पहले एक एक खुराक Nux Vomica-200 और Coculus -200 ले लें , यह सबसे लाभकारी होगा, रास्ते मे भी एक एक खुराक ले लें.