छोटी ईलाइची, लौंग,प्याज आदि मशाले के साथ साथ एक अच्छी दवा भी है।

Tuesday, January 29, 2013


हरी इलायचीछिलके सहित इलायची को आग में जलाकर राख कर लें। इस राख को शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी होना बंद होती है।

* हरी इलायची 10 ग्राम, सौंफ 20 ग्राम, मिश्री 40 ग्राम तीनों को (इलायची छिलके सहित) महीन पीसकर मिला लें। प्रातः एक चम्मच चूर्ण दूध के साथ पीने से नेत्र ज्योति बढ़ती है व हृदय को बल मिलता है।


* छिलके सहित छोटी इलायची, सौंठ, कालीमिर्च और दालचीनी समभाग लेकर पीस लें और महीन चूर्ण बना लें। चाय बनाते समय खौलते पानी में यह चूर्ण एक चुटकी भर डालकर चाय बनाइए। बड़ी स्वादिष्ट चाय बनेगी।


* लौंग के तेल की एक-दो बूँद रुई के फाहे पर टपकाकर जिस दाँत में दर्द हो, वहाँ रखकर दबाएँ, दाँत का दर्द दूर हो जाएगा।


* नारियल के तेल में लौंग के तेल की 8-10 बूँदें टपकाकर यह तेल सर में लगाकर मालिश करने से सिरदर्द ठीक हो जाता है।


* लौंग, छोटी हरड़ और सेंधा नमक तीनों 10-10 ग्राम लेकर पीस लें। भोजन करने के बाद यह चूर्ण एक चम्मच, पानी के साथ फाँकने से उदर रोग ठीक होते हैं।


* लौंग, सौंफ, छोटी इलायची, जरा-सा खोपरा समभाग लेकर कूट-पीस लें। इसे मुँह में रखने से मुख शुद्ध और दाँत मजबूत होते हैं।

प्याज : सेहत का रखवालाप्याज का इस्तेमाल आमतौर पर हमारे घरों में सब्जी के रूप में किया जाता है। प्याज औषधीय गुणों का भंडार है और अनेक रोगों की रामबाण दवा भी।


* यदि दाँत का दर्द है, तो उसके नीचे प्याज का एक छोटा टुकड़ा दबा लीजिए। आराम मिलेगा।

* प्याज के सेवन से आँखों की ज्योति बढ़ती है।


* प्याज के रस का नाभि पर लेप करने से पतले दस्त में लाभ होता है।


* अपच की शिकायत होने पर प्याज के रस में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करें।


* सफेद प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करना दमा रोग में बहुत लाभदायक है।


* प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है।


* यदि गठिया का दर्द सताए तो प्याज के रस की मालिश करें।प्याज का इस्तेमाल आमतौर पर हमारे घरों में सब्जी के रूप में किया जाता है। प्याज औषधीय गुणों का भंडार है और अनेक रोगों की रामबाण दवा भी।

* उच्च रक्तचाप के रोगियों को कच्चे प्याज का सेवन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि यह रक्तचाप कम करता है।

* उल्टियाँ हो रही हों या जी मिचला रहा हो, तो प्याज के टुकड़े में नमक लगाकर खाने से राहत मिलती है।

* जिन्हें मानसिक तनाव बना रहता हो, उन्हें प्याज का सेवन करना चाहिए, क्योंकि प्याज में मौजूद एक विशेष रसायन मानसिक तनाव कम करने में सहायक है।
सीने में जलन होना सीने में जलन होना सामान्य समस्या है। भोजन में अति होना, चाय ज्यादा पीना व अजीर्ण हो जाने की स्थिति में ऐसा होता है। बार-बार सीने में जलन होने लगे तो समझो कि भोजन नली ठीक नहीं है, उसमें आमाशय से तेजाब आ रहा है।दरअसल हमारी खाने की नली और आमाशय के बीच पेशी का एक वॉल्व होता है, जो सामान्य रूप से चीजों को खाने की नली से आमाशय की ओर ही जाने देता है। उससे गुजरकर ही खाई गई वस्तुएँ आमाशय में पहुँचती हैं।यह वाल्व उन्हें फिर वापस खाने की नली में नहीं लौटने देता, लेकिन कई बार कुछ चीजें इस वॉल्व में गड़बड़ी पैदा कर देती हैं, जिससे आमाशय में बना अम्ल खाने की नली में जाने लगता है।जलन रोकने के लिए जरूरी है कि आप तली हुई वसादार चीजें न खाएँ, भोजन सीमित मात्रा में थोड़ा-थोड़ा करें। रात में सोते हुए जलन उठती है तो सिरहाना पलंग के पाए से चार से छह इंच ऊँचा कर दें, ताकि शरीर का ऊपरी भाग ऊपर ऊठा रहे।

झाइयाँ व झुर्रियाँ

की त्वचा पर झाइयाँ पड़ जाएँ तो चेहरा कुम्हला जाता है तथा त्वचा रूखी, सूखी और खुश्क हो जाती है। झुर्रियों से त्वचा में सिकुड़न पड़ जाती है तथा आँखों के नीचे काले घेरे बनने की समस्या भी हो जाती है, जिससे अच्छा खासा चेहरा भी खराब नजर आता है।उपचार का तरीका


* सर्वप्रथम तो खट्टे, नमकीन, तीखे, उष्ण, दाहकारक, भारी, देर से हजम होने वाले तथा पित्त को कुपित करने वाले, मिर्च-मसालेदार पदार्थों का सेवन बंद कर दें।


* पानी भरपूर पिएँ इससे आपका खून साफ रहेगा, खून खराब रहने पर ही इस प्रकार की बीमारियाँ होती हैं।


* जायफल को पानी या दूध में घिसकर झाइयों पर लगाएँ।


* हल्दी चूर्ण, बसेन तथा मुलतानी मिट्टी समान भाग मिलाकर जल में घोलकर पेस्ट बना लें तथा इस पेस्‍ट का झाइयों पर लेप करें. आधे घंटे बाद कुनकुने पानी से धो डालें।


* घृतकुमारी (Aloe Vera) यानी ग्वारपाठा का गूदा गाय के दूध में मिलाकर झाइयों पर लेप करें। लेप लगाने के बाद आधा घंटे लगा रहने दें। इसके बाद कुनकुने पानी से साफ कर दें। इसी तरह चंदनादि लेप का प्रयोग भी किया जा सकता है।


* सुबह शौच के बाद खाली पेट एक ताजी मूली और उसके कोमल पत्ते चबाएं। थोड़ी सी मूली पीसकर चेहरे पर मलें। यह दोनों प्रयोग साथ-साथ एक माह तक करें व फर्क देखें।


* अदरक को पीसकर झाइयों पर लेप करें व एक-दो घंटे रहने दें। स्नान करते समय इसे हल्के हाथ से निकालते जाएँ, पश्चात नारियल का15 ग्राम हल्दी चूर्ण को बरगद या आक (आँकड़ा) या पीपल के दूध में मिलाकर गूंथ लें। रात को सोते समय चेहरे पर इसका लेप करें तथा सुबह चेहरा धो लें। कुछ दिनों तक ऐसा करने से झाइयाँ दूर हो जाती हैंतेल लगा लें। कुछ दिन ऐसा करने से झाइयाँ दूर हो जाती हैं।


* प्याज के बीज पीसकर शहद के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाकर धीरे-धीरे मलें। 2-3 दिन यह क्रिया दोहराते रहें, इससे झाइयाँ दूर हो जाएँगी और त्वचा की कांति लौट आएगी।


* 15 ग्राम हल्दी चूर्ण को बरगद या आक (आँकड़ा) या पीपल के दूध में मिलाकर गूंथ लें। रात को सोते समय चेहरे पर इसका लेप करें तथा सुबह चेहरा धो लें। कुछ दिनों तक ऐसा करने से झाइयाँ दूर हो जाती हैं।


नोट : किसी भी एक नुस्खे का प्रयोग करें, सारे नुस्के एक साथ न आजमाएँ।
 

नशा से मुक्ति की दवा

मित्रों YOUTUBE  में search करने पर मुझे राजीव दीक्षीत जी का एक विडीयो देखा, जिसमे वे समाज मे फैले वैसे नशाप्रेमियों की मदद करना चाहते है जो नशा से मुक्ति तो चाहते है पर नहीं कर पाते हैं। पुरा लेख पढें।                                                              मित्रो बहुत से लोग नशा छोडना चाहते है पर उनसे छुटता नहीं है !बार बार वो कहते है हमे मालूम है ये गुटका खाना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे ???
बार बार लगता है ये बीड़ी सिगरेट पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे !??
बार बार महसूस होता है यह शाराब पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब हो जाती है तो क्या करे ! ????

तो आपको बीड़ी सिगरेट की तलब न आए गुटका खाने के तलब न लगे ! शारब पीने की तलब न लगे ! इसके लिए बहुत अच्छे दो उपाय है जो आप बहुत आसानी से कर सकते है ! पहला ये की जिनको बार बार तलब लगती है जो अपनी तलब पर कंट्रोल नहीं कर पाते नियंत्रण नहीं कर पाते इसका मतलब उनका मन कमजोर है ! तो पहले मन को मजबूत बनाओ!

मन को मजबूत बनाने का सबसे आसान उपाय है पहले थोड़ी देर आराम से बैठ जाओ ! आलती पालती मर कर बैठ जाओ ! जिसको सुख आसन कहते हैं ! और फिर अपनी आखे बंद कर लो फिर अपनी दायनी(right side) नाक बंद कर लो और खाली बायी(left side) नाक से सांस भरो और छोड़ो ! फिर सांस भरो और छोड़ो फिर सांस भरो और छोड़ो !
बायीं नाक मे चंद्र नाड़ी होती है और दाई नाक मे सूर्य नाड़ी ! चंद्र नाड़ी जितनी सक्रिये (active) होगी उतना इंसान का मन मजबूत होता है ! और इससे संकल्प शक्ति बढ़ती है । चंद्र नाड़ी जीतनी सक्रिय होती जाएगी आपकी मन की शक्ति उतनी ही मजबूत होती जाएगी । और आप इतने संकल्पवान हो जाएंगे , और जो बात ठान लेंगे उसको बहुत आसानी से कर लेगें ! तो पहले रोज सुबह 5 मिनट तक नाक की right side को दबा कर left side से सांस भरे और छोड़ो, ये एक तरीका है , और बहुत आसन है !


दूसरा एक तरीका है आपके घर मे एक आयुर्वेदिक ओषधि है जिसको आप सब अच्छे से जानते है और पहचानते हैं ! राजीव भाई ने उसका बहुत इस्तेमाल किया है लोगो का नशा छुड्वने के लिए ! और उस ओषधि का नाम है अदरक ! और आसानी से सबके घर मे होती है ! इस अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! जब भी दिल करे गुटका खाना है तंबाकू खाना है बीड़ी सिगरेट पीनी है ! तो आप एक अदरक का टुकड़ा निकालो मुंह मे रखो और चूसना शुरू कर दो ! और यह अदरक ऐसे अदबुद चीज है आप इसे दाँत से काटो मत और सवेरे से शाम तक मुंह मे रखो तो शाम तक आपके मुंह मे सुरक्षित रहता है ! इसको चूसते रहो आपको गुटका खाने की तलब ही नहीं उठेगी ! तंबाकू सिगरेट लेने की इच्छा ही नहीं होगी शराब पीने का मन ही नहीं करेगा !
बहुत आसन है कोई मुश्किल काम नहीं है ! फिर से लिख देता हूँ !
अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! डिब्बी मे रखो पुड़िया बना के रखो जब तलब उठे तो चूसो और चूसो !
जैसे ही इसका रस लाड़ मे घुलना शुरू हो जाएगा आप देखना इसका चमत्कारी असर होगा आपको फिर गुटका –तंबाकू शराब –बीड़ी सिगरेट आदि की इच्छा ही नहीं होगी ! सुबह से शाम तक चूसते रहो ! और 10 -15 -20 दिन लगातार कर लिया ! तो हमेशा के लिए नशा आपका छूट जाएगा !


आप बोलेगे ये अदरक मैं ऐसे क्या चीज है !????

यह अदरक मे एक ऐसे चीज है जिसे हम रसायनशास्त्र (क्मिस्ट्री) मे कहते है सल्फर !
अदरक मे सल्फर बहुत अधिक मात्रा मे है ! और जब हम अदरक को चूसते है जो हमारी लार के साथ मिल कर अंदर जाने लगता है ! तो ये सल्फर जब खून मे मिलने लगता है ! तो यह अंदर ऐसे हारमोनस को सक्रिय कर देता है ! जो हमारे नशा करने की इच्छा को खत्म कर देता है !
और विज्ञान की जो रिसर्च है सारी दुनिया मे वो यह मानती है की कोई आदमी नशा तब करता है ! जब उसके शरीर मे सल्फर की कमी होती है ! तो उसको बार बार तलब लगती है बीड़ी सिगरेट तंबाकू आदि की ! तो सल्फर की मात्रा आप पूरी कर दो बाहर से ये तलब खत्म हो जाएगी ! इसका राजीव भाई ने हजारो लोगो पर परीक्षण किया और बहुत ही सुखद प्रणाम सामने आए है ! बिना किसी खर्चे के शराब छूट जाती है बीड़ी सिगरेट शराब गुटका आदि छूट जाता है ! तो आप इसका प्रयोग करे !

और इसका दूसरे उपयोग का तरीका पढे !

अदरक के रूप मे सल्फर भगवान ने बहुत अधिक मात्रा मे दिया है ! और सस्ता है! इसी सल्फर को आप होमिओपेथी की दुकान से भी प्राप्त कर सकते हैं ! आप कोई भी होमिओपेथी की दुकान मे चले जाओ और विक्रेता को बोलो मुझे सल्फर नाम की दावा देदो ! वो देदेगा आपको शीशी मे भरी हुई दावा देदेगा ! और सल्फर नाम की दावा होमिओपेथी मे पानी के रूप मे आती है प्रवाही के रूप मे आती है जिसको हम Dilution कहते है अँग्रेजी मे !
तो यह पानी जैसे आएगी देखने मे ऐसे ही लगेगा जैसे यह पानी है ! 5 मिली लीटर दवा की शीशी 5 रूपये आती है ! और उस दवा का एक बूंद जीभ पर दाल लो सवेरे सवेरे खाली पेट ! फिर अगले दिन और एक बूंद डाल लो ! 3 खुराक लेते ही 50 से 60 % लोग की दारू छूट जाती है ! और जो ज्यादा पियाकड़ है !जिनकी सुबह दारू से शुरू होती है और शाम दारू पर खतम होती है ! वो लोग हफ्ते मे दो दो बार लेते रहे तो एक दो महीने तक करे बड़े बड़े पियकरों की दारू छूट जाएगी !राजीव भाई ने ऐसे ऐसे पियकारों की दारू छुड़ाई है ! जो सुबह से पीना शुरू करते थे और रात तक पीते रहते थे ! उनकी भी दारू छूट गई बस इतना ही है दो तीन महीने का समय लगा !
तो ये सल्फर अदरक मे भी है ! होमिओपेथी की दुकान मे भी उपलब्ध है ! आप आसानी से खरीद सकते है !लेकिन जब आप होमिओपेथी की दुकान पर खरीदने जाओगे तो वो आपको पुछेगा कितनी ताकत की दवा दूँ ??!
मतलब कितनी Potency की दवा दूँ ! तो आप उसको कहे 200 potency की दवा देदो ! आप सल्फर 200 कह कर भी मांग सकते है ! लेकिन जो बहुत ही पियकर है उनके लिए आप 1000 Potency की दवा ले !आप 200 मिली लीटर का बोतल खरीद लो एक 150 से रुपए मे मिलेगी ! आप उससे 10000 लोगो की शराब छुड़वा सकते हैं ! मात्र एक बोतल से ! लेकिन साथ मे आप मन को मजबूत बनाने के लिए रोज सुबह बायीं नाक से सांस ले ! और अपनी इच्छा शक्ति मजबूत करे !!!

अब एक खास बात !

बहुत ज्यादा चाय और काफी पीने वालों के शरीर मे ARSENIC  तत्व की कमी होती है,उसके लिए आप ARSENIC- 200 का प्रयोग करे !
गुटका,तंबाकू,सिगरेट,बीड़ी पीने वालों के शरीर मे PHOSPHORUS तत्व की कमी होती है !उसके लिए आप PHOSPHORUS 200 का प्रयोग करे !
और शराब पीने वाले मे सबसे ज्यादा SULPHUR तत्व की कमी होती है !उसके लिए आप SULPHUR 200 का प्रयोग करे !!
सबसे पहले शुरुवात आप अदरक से ही करे !!


सफर के दौरान होने वाली परेशानी (Motion Sickness)

Saturday, November 7, 2009
बस टैक्सी में सफर के दौरान हम आये दिन कुछ यात्रियों को उल्टियां करते देखते है. उनमे ज्यादा सख्याँ महिलाओं या बच्चों कि ही होती है. कुछ पुरुष भी बस या टैक्सी मे सफर के दौरान बेचैनी, जी मिचलाने के साथ उल्टिया करते दिख जाते है. पर रेलगाडी मे सफर के दौरान उन्हें कुछ नहीं होता है. जिसके कारण वैसे लोग बस या टैक्सी को छोड रेल से यात्रा करना पसंद करते है. सडक यात्रा के दौरान होने वाला यह लक्षण एक बीमारी है जिसे अंग्रेजी मे Motion Sickness या सफर के दौरान होने वाली बीमारी बताया गया है. इसे समझने के लिए शरीर के कुछ अगों और सफर के दौरान उ़समे होने बाले हलचलों को समझना होगा.

1) कान का भीतरी भाग :- कान के भीतरी भाग र्धचन्द्राकार नली (Semicircular canal) का द्रव, सफर के दौरान शरीर की पल पल बदलने वाली स्थिति यथा उपर-नीचे, दायें बायें, आगे पीछे, चक्राकार, को sense कर दिमाग को खबर करती है.

2) आँखे : आँखे ही शरीर के वास्तविक स्थिति के बारे में दिमाग को जानकारी देती है कि आप किस दिशा में चल रहें है.

3) त्वचा की संवेदनशील ग्रन्थियाँ :- ये ग्रन्थियाँ दिमाग को बताती है की शरीर का कौन सा भाग जमीन के संपर्क मे है.

4) मांसपेशियाँ और जोडों कॊ संवेदनशील ग्रन्थियाँ : ये संवेदनशील ग्रन्थियाँ सफर के दौरान, शरीर के मांसपेशियाँ और जोडों मे होने वाली हलचल तथा शरीर की वास्तविक स्थिति के वारे में दिमाग को हर पल खबर देती है.

हमारा दिमाग उपरोक्त अंगों से प्राप्त सुचनाओं के द्वारा शरीर के विभिन्न स्थितियों मे एक समग्र रुपरेखा तैयार करती है कि उस तात्कालिक क्षण में शरीर की क्या स्थिति थी. सडक मार्ग से यात्रा के दौरान प्रत्येक क्षण शरीर की स्थिति मे परिवर्तन होता रहता है और उपरोक्त अंग पल प्रतिपल बदल रही शरीर की स्थिति, दिशा और दशा , दिमाग को प्रेषित करते रहते है. जिस द्रुत गति से उपरोक्त अंग दिमाग को सुचनाएं प्रेषित करती है, यदि दिमाग उसी द्रुत गति से, प्राप्त सुचनाओं में तालमेल नहीं बैठा पाता है तो Motion Sickness की स्थिति आती है.

एक उदाहरण के रुप में इसे समझा जा सकता है:- आप कार/बस से कहीं जा रहें हैं और अपनी सीट पर एक किताब/समाचार पत्र पढ रहे हैं, इस स्थिति में आपके कान का आन्तरिक भाग sense कर रहा है कि आप आगे जा रहें हैं/ आगे की ओर चल रहें हैं और आपके दिमाग को आपकी पल पल बदलती स्थिति के बारे में सुचित कर रही हैं, परन्तु आपकी आँखें पढने मे व्यस्त हैं और उसमे कोई हलचल नहीं है साथ ही साथ मांसपेशियाँ और जोडों की संवेदनशील ग्रन्थियाँ दिमाग को सुचित कर रही है कि आप स्थिर बैठें हैं, इस स्थिति मे दिमाग उपरोक्त अंगों से प्राप्त सुचनाओं मे कोई तालमेल नहीं बैठा पाता है और दिमाग मे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

इस स्थिति में आप बेचैन और थका हुआ सा अनुभव करने लगेगें, पेट के अन्दर हलचल होने लगेगा और बाहर की ओर वेग उत्पन्न होने लगेगा, बडे वेग से उल्टीयाँ होने लगेगा. स्थिति बिगड कर गंभीर रुप ले सकती है.

निन्म उपायों से Motion Sickness से कुछ हद तक बचा जा सकता है.
1
) गाडी मे बैठ कर चेहरे को हमेशा आगे की ओर रखें. आँखों को सदा गाडी के चाल की दिशा मे रखें . इससे आँख और कान के द्वारा sense की गई स्थिति मे अन्तर नही होता है.
पीछे मुँह वाली सीट पर कभी न बैठे.
पीछे की ओर न देखें.

2) हमेशा बाहर की ओर देखें, दूर की वस्तुएं देखें . इससे आपकी आँखे यह sense नहीं कर सकेगी की आप स्थिर हैं. लगातार बदलते दृश्य हमेशा motion को sense करेगी.

3) किसी बडी गाडी यथा, नाव, हवाई जहाज आदि मे बैठने समय हमेशा ऎसी जगह बैठे जहाँ कम से कम हलचल हो, सबसे अच्छा बीच मे बैठें.

4) पेट साफ रखें, कब्ज की स्थिति मे आमाशय मे ढेर सारा अनपचा पदार्थ पडा रहता है जो वेग की अवस्था में तेजी से बाहर निकलता है.
सबसे अच्छा है कोई दवा जो motion sickness मे राहत दे सदा अपने पास रखें. आपातकाल के लिए एक प्लास्टिक बैग अपने पास रखें यात्रा के दौरान, गाडी में उल्टियाँ होने पर यह बैग काम आयेगी.
 
मै खुद Motion Sickness का शिकार रहा हुँ. बस/टैक्सी से सफर करते समय काफी परेशानी होती थी. कुछ किलोमीटर की दुरी का सफर भी कठीन लगता था. कई एलोपैथिक दवाओं का व्यवहार किये कोई खास लाभ नहीं हुआ पर एक दवा
AVOMINE (Promethazine theoclate) सबसे अधिक उपयोगी है. मै avomine का दो टेबलेट हमेशा अपने पास रखता हुँ. परन्तु इससे नींद आ जाती है. अत: ड्राईविंग करते वक्त बिल्कुल न लें.
दवायें:-
नक्स भोमिका (Nux Vomica) :- Motion Sickness के अधिकांश व्यक्ति इससे ठीक हो जाते है. यात्रा के दो घंटे पहले इसकी दो खुराकें (दो बुन्द दवा जीभ पर) एक एक घंटे पर ले लें. इसका मुख्य लक्षण, तेज सिरदर्द के साथ वमन और चक्कर आना होने का है.

काक्युलस इंडिका (Coculus Indica):- नक्स वोनिका के बाद दुसरी सबसे प्रभावी दवा काक्युलस है. सुस्ती, च्क्कर आना, उल्टियाँ होना, वमन की इच्छा बनी रहना, आदि मुख्य लक्षण है.रोगी व्यक्ति अकेला रहना और लेटना चाहता है. कोई भी गंध, दृश्य, भोजन का विचार आने से भी वमन और वमन की इच्छा ्बनी रहना (Nausea) .

पेट्रोलियम (Petrolium) : मुँह मे लगातार लार (Saliva) आना, चेहरा पीला पडना, चेहरा ठंडे पसीने से तरबतर हो जाना, पेट मे sensation होना. बेचैनी , वमन होना और वमन की इच्छा बनी रहना आदि इसके मुख्य लक्षण है.

मेरा अनुभव है कि यात्रा शुरु होने के दो घंटे पहले एक एक खुराक Nux Vomica-200 और Coculus -200 ले लें , यह सबसे लाभकारी होगा, रास्ते मे भी एक एक खुराक ले लें.


दर्द निवारक एलोपैथिक दवायें और उसके साईड इफेक्ट

Monday, September 7, 2009

दर्द निवारक एलोपैथिक दवायें और उसके साईड इफेक्ट
पॉप की दुनिया के सरताज माइकल जैक्सन की पिछले दिनों हुई असमय मौत की सबसे बड़ी वजह जानते हैं आप ? उनकी मौत ' पेनकिलर्स विद नारकोटिक्स ' लेने की वजह से हुई।
जाहिर है , किसी भी तरह के दर्द में तुरंत राहत देने वाली इन जादुई गोलियों की मार बड़ी भयानक होती है। ऐसे में बेहतर यह है कि अचानक होने वाले दर्द से राहत के लिए आयुर्वेद और होम्योपैथी का सहारा लिया जाए।
बात बात पर सरदर्द,हाथ पैरों का दर्द, दाँत दर्द आदि के लिए एलोपैथिक दर्द निवारक दवा ले लेने का सलाह लोग न सिर्फ देते है ब्लकि स्वंय लेते है. आम केमिस्ट भी सरदर्द के लिए आम पेनकिलर को बिना किसी बिपरीत प्रभाव पर ध्यान दिये ,लोगों को धडल्ले से देते हैं, आम आदमी भी इन दर्द निवारक दवाओं के तत्काल प्रभाव के कारण ,इस्तेमाल करने मे नहीं हिचकते है.
क्या हैं पेनकिलर्स
पेनकिलर्स या एनाल्जेसिक वे दवाएं हैं , जिनका इस्तेमाल दर्द से राहत पाने में किया जाता है। इन्हें बनाने में मॉर्फिन जैसे नारकोटिक्स , नॉन स्टेरॉइडल ऐंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स और एसेटैमिनोफेन जैसे नॉन नारकोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है।
कैसे करती हैं काम पेनकिलर्स
पेनकिलर्स दो तरह से काम करती हैं।
1. ब्रेन की ओर जाने वाले दर्द के सिग्नल को ब्लॉक कर देती हैं , जिससे रोगी को दर्द का अहसास नहीं हो पाता।
2. ब्रेन में सिग्नल के इंटरप्रिटेशन सिस्टम में छेड़छाड़ कर देती हैं और रोगी को लगता है कि उसे दर्द से राहत मिल गई।
क्यों होता है एडिक्शन ..
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पेनकिलर्स दर्द में तुरंत राहत पहुंचाती हैं। यही वजह है कि इंसान जरा - सी दिक्कत होते ही इनका इस्तेमाल करने लगता है और धीरे - धीरे उसे इनकी आदत पड़ जाती है। - लंबे समय तक इस्तेमाल करने से दिमाग व शरीर इन दवाओं पर निर्भर करने लगते हैं। इस स्थिति को एडिक्शन यानी लत कहते हैं। कुछ दवाओं को लेने से मूड अच्छा होता है और नींद भी आती है। लगातार लेते रहने से ये दवाएं अल्कोहल का काम करने लगती हैं।
क्या हैं नुकसान और साइडइफेक्ट्स ..
-जरूरत से ज्यादा लेने पर पेनकिलर्स घातक हो सकती हैं। एक साल तक अगर पेनकिलर्स को रोज इस्तेमाल किया जाए , तो यह बेहद नुकसानदायक हो सकती हैं। एसिटामिनोफेन के इस्तेमाल से लिवर डैमिज होने का खतरा काफी ज्यादा होता है।
- जिंदगी में एक हजार से ज्यादा पेनकिलर्स खाने से किडनी खराब हो सकती है। अगर आपको सौ साल जीना है , तो साल में दस गोली से ज्यादा कभी न लें।
- पेनकिलर्स लगातार लेते रहने से किडनी और लिवर में जहर बन सकता है। पेट में ब्लीडिंग भी हो सकती है।
- इसके अलावा , उबकाई आना , सुस्ती , मुंह सूखना , अचानक ब्लड प्रेशर कम होना और कब्ज जैसी शिकायतें भी हो सकती हैं। कई बार कन्फ्यूजन और भ्रम की स्थिति , बेहोशी , धीमी हार्ट रेट , तेज हार्ट रेट , मांसपेशियों में जकड़न , लिवर और यूट्रस में दिक्कत व रेस्पिरेटरी डिप्रेशन की स्थिति भी आ सकती है।
- कुछ पेनकिलर्स दमा को भी बढ़ा सकती हैं।
-प्रसिद्ध दर्द निवारक दवा Nimuslide अधिकांश देशों मे प्रतिबंधित है पर यह भारत मे आम दर्द निवारक दवा के रुप मे जानी जाती है, के ज्यादा व्यवहार के कारण लीवर के खराब (Lever Failure) होने की संभावना होती है.

मैं हैनिमैन का शुक्र्गुजार हुँ कि होम्योपैथिक जैसी निर्दोष और पावरफुल चिकित्सा पद्धति का गिफ्ट हमें दिया.. इसमे बहुत सारे दर्द निवारक दवायें है जो कि बिना किसी साइड इफेक्ट के आपको दर्द से आराम दिला सकती है. यह सही है कि होम्योपैथिक मे दर्द निवारक दवा का चुनाव एलोपैथिक जितना आसान नहीं है. होम्योपैथिक दवा दर्द के कारण को ही मिटाती है पर एलोपैथिक दर्द निवारक दवाये ब्रेन की ओर जाने वाली दर्द के सिग्नल को ब्लाक कर के दर्द के अहसास को मिटाती है वो भी कुछ देर के लिए.
कुछ दर्द निवारक जैसे कैमोमिला, काफिया, आर्सेनिक , एकोनाईट, बेलाडोना, विरेट्रम एल्बम, ग्लोनाइन, स्पाइजेलिया, रसट्क्स, आदि ढेर सारे दर्द निवारक दवायें है जो रोगी के शारीरिक , मानसिक लक्षण और मियाज्म के आधार पर दिया जाता है.
इन दवाओं के बारे मे अगले पोस्ट मे लिखुगाँ.
Sunday, August 30, 2009



ह्दय रोग : प्याज का रस और चने की दाल
ह्दय रोग मे प्याज का रस काफी लाभकारी पाया गया है. सुबह के समय कच्चे सफेद प्याज का रस दो छोटे चम्मच पीने से हदय रोग के किसी भी अवस्था में लाभ मिलता है. डा० सत्यव्रत सिद्धान्तालंकार ने अपनी पुस्तक "रोग और उनकी होम्योपैथिक चिकित्सा" मे इसके बारे जिके करते हुए लिखें हैं कि अरब के एक उच्च कोटि के धनी मानी व्यक्ति का कथन है कि उसे ह्दय के रोग के दौरे पडते थे. उसने अपने घर में कार्डियोग्राम की मशीन लगा रखी थी. और प्रतिदिन वह अपने ह्दय की गति की जाँच करवाया करता था. डाक्टरों ने उसे बीसियों गोलियां खाने को दिया था. अरब के एक हकीम ने उसे प्याज का रस पीने का नुख्सा बताया था. उसने आजमाया और उसका ह्दय का रोग जाता रहा. उसने डाक्टरों की गोलियां और मशीन सभी अलग कर दी और प्याज के दो चम्मच रस प्रतिदिन पीने से वह स्वस्थ हो गया.


लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कालेज के डा० एन० एन० गुप्त ने अपने परीक्षणों के आधार पर यह कहा है कि कच्चा प्याज का सेवन करने से ह्दय रोगों से बचा जा सकता है.


ह्दय रोग मे चने की दाल भी काफी फायदेमंद है. इंडियन कौसिंल आफ मेडिकल रिसर्च द्वारा आयोजित आगरा के एस० एन० मेडिकल कालेज मे किये गये परीक्षणों से यह सिद्ध हुआ है की चने की दाल खाने से ह्दय का रोग नहीं होता है. ह्दय रोग में ह्दय की धमनियों (ARTERIES) मे कोलेस्ट्ररोल की परत जम जाती है जिससे धमनियां मोटी हो जाती है और उसमे खुन के प्रवाह के रुकावट होने लगती है जो दिल के दौरे का मुख्य कारण है. चने की दाल खाने से कौलेस्ट्रोल घुलने लगता है. ह्दय रोगियों को चने की दाल और कच्चे प्याज का अधिक सेवन करना चाहिए.


होम्योपैथिक दॄष्टिकोण से ह्दय रोग मे काफी औषधियां है जो ह्दय रोगी के शारीरिक और मानसिक लक्षण के साथ साथ मियाज्म के आधार पर दिया जाता है पर एक दवा क्रैटेगस (CRATAEGUS), मुल अर्क की १५--१५ बुन्द आधे कप पानी मे डालकर दिन मे दो बार लेने से आश्चर्यजनक लाभ मिलता है. जिस ह्दय रोग मे आपरेसन की अनुशंशा की गई है उनके लिए भी यह समान रुप से उपयोगी है. किसी भी एलोपैथिक दवाओं के साथ साथ इसे भी लें तो धीरे धीरे एलोपैथिक दवाओं से छुट्टी मिल सकती है. लम्बे मुझे अपने परिवार के कुछ सदस्यों और मित्रों पर इसके उपयोग से चमत्कारिक लाभ मिला है. ह्दय (सीने) मे दर्द होने पर इसी दवा की १०-१० बुन्द प्रत्येक पंद्रह पंद्रह मिनट पर दो तीन खुराक मे आराम आ जाता है. उसके बाद कुछ दिनों तक १५ - १५ बुन्द दवा दिन मे तीन बार लें. फिर सिर्फ दो बार शुबह और शाम मे लें.कोई भी ह्दय रोग से पीडित व्यक्ति इस दवा का बिना किसी हिचकिचाहट के उपयोग कर सकते है. ह्दय रोग मे दवा के साथ साथ प्राणायाम भी काफी लाभ देता है. प्राणायाम से फेफडों मे ज्यादा आक्सीजन मिलता है जिससे ह्दय के धमनियों मे जमा कोलेस्ट्रोल की परत को साफ होने मे मदद मिलती है.

एलर्जी

Monday, August 24, 2009


आजकल की प्रदूषणभरी और भाग दौड की जिन्दगी मे एलर्जी एक जाना पहचाना शब्द है. लगभग ९० प्रतिशत व्यक्ति किसी न किसी रुप से एलर्जी से ग्रसित है. किसी को दुध से नफरत है तो किसी को दही से या यूँ कहें उन्हें इन चीजों के खाने से कुछ विशेष लक्षण उत्पन्न होते है आजकल के शब्दों मे उन्हें दुध या दही से एलर्जी है.

एलर्जी कोई रोग न होकर एक शारीरिक और मानसिक प्रतिक्रिया है जो किसी खास वस्तु के सम्पर्क मे आने से उत्पन्न होती है. जिस वस्तु के सम्पर्क मे आने से यह प्रतिक्रिया होती है उसे उत्तेजक कारक कहते है. अप्राकृतिक खानपान, रहन- सहन के कारण या कभी कभी वंशानुगत भी एलर्जी होने के कारणों में है.

बचपन से ही वातानुकुलित कमरों मे रहने के कारण आजकल बच्चों मे मौसम के परिवर्तन के प्रति सहिष्नुता का अभाव देखा जा रहा है. मौसम का परिवर्तन उनका शरीर बर्दास्त नहीं कर पाता है और कई प्रकार के शारीरिक लक्षण उत्पन्न हो जाते है. यह भी एक प्रकार का एलर्जी ही है.

कुछ विशेष वस्तु जैसे घर का महीन धूल , कालीन का धूल , मकडे का जाल , उपलों का धुआँ , आदि कुछ एसी वस्तुएं है जिनसे बडे पैमाने पर लोगों को कुछ शारीरिक परेशानियाँ होने लगती हैं. जैसे दम फुलना, नाक और आँख से पानी आने लगना, लगातार छीकें आने लगना आदि जिसका तत्काल ईलाज आवश्यक है.

हालांकि होम्योपैथिक दवाओं का चुनाव रोगी की प्रकॄति, उत्पन्न शारीरिक और मानसिक लक्षण के साथ साथ मियाज्म के आधार पर किया जाता है फिर भी किसी खास वस्तु (उत्तेजक कारक) से उत्पन्न एलर्जी के लिए निम्न दवा का व्यवहार कर लाभ उठा सकते है. नीचे का चार्ट देखें

धुल और धुएं से एलर्जी ---------------------- पोथोस पोटिडा
प्याज से से एलर्जी ---------------------- थुजा, एलियम सिपा
एण्टिवायोटिक दवाओं से एलर्जी ---------------- सल्फर
दुध से एलर्जी -------------------------------- ट्युवर्कोलिनम, सल्फर
दही से एलर्जी -------------------------------- पोडोफाइलम
मिठाई से एलर्जी ----------------------------- आर्जेन्टम नाईट्रिकम
चाय से एलर्जी ------------------------------- सेलेनियम
काफी से एलर्जी ------------------------------ नक्स वोमिका
किसी प्रकार का टीका लगाने से एलर्जी ----- --- थुजा
किसी प्रकार के मसालों से एलर्जी --------- --- नक्स वोमिका
लहसुन से एलर्जी --------------------------- फासफोरस
अचार से एलर्जी ----------------------------- कार्बो वेज
साधारण नमक से एलर्जी -------------------- नैट्रम म्युर
फलों से एलर्जी ------------------------------ आर्सेनिक
तम्बाकू से एलर्जी----------------------------- नक्स वोमिका
माँ के दुध से बच्चे को एलर्जी ---------------- साईलेशिया
आलुओं से एलर्जी ---------------------------- एलुमिना
सब्जियों से एलर्जी --------------------------- नैट्रम सल्फ
मछली से एलर्जी ----------------------------- आर्सेनिक
गर्म पेय पदार्थो से एलर्जी --------------------- लैकेसिस
ठंडे पेय पदार्थों से एलर्जी ---------------------- विरेट्रम एल्बम
किसी भी उत्तेजक कारक के कारण यदि --------- एपिस/आर्टिका युरेन्स
त्वचा के जलन खुजली होने लगे तो

किसी भी उत्तेजक कारक के कारण यदि --------- नक्स वोमिका/ हिस्टामिन
लगातार छींक आने लगे, नाक से
पानी आने लगे , नजले जैसा लक्षण उत्पन्न
होने पर
उक्त दवाओं के 200/1M पोटेन्सी मे ३ खुराक तीन दिनों तक (प्रतिदिन एक बार शुबह में) लेकर फिर प्रत्येक सप्ताह एक खुराक लेने पर लें आशातीत लाभ मिल सकता है..

मैने धुल और धुयें से होने बाली एलर्जी में एकोनाईट 3x, इपिकाक 3x, एन्टिम टार्ट की 3x तीनों का मिश्रण ३-३ बुन्द प्रत्येक घटें पर रोग की तीव्रता के आधार पर देकर काफी लाभ पाया है. रोग की तीव्रता घटने पर दवा देने का अन्तराल बढाते जाते है. बाद में दिन मे तीन बार

किसी भी कारण यदि अचानक छींक आने लगे, नाक और आँख से पानी आने लगे तो मैं पहले नक्स वोमिका -२०० का एक खुराक यानी दो बुन्द साफ जीभ पर दे देता हुँ और उसके ३० मिनट के बाद एकोनाईट - ३x या ३० तीन चार खुराकें १५ - १५ मिनट के अंतराल पर देने पर आशातीत सफलता प्राप्त हुई है.

यदि किसी कारण से शरीर पर लाल लाल चकत्ते आ जाये जिसमे काफी जलन और खुजलाहट हो (मुख्यत: यह मौसम के परिवर्तन के कारण या किसी उत्तेजक कारक के सम्पर्क मे आने से होता है.) तो सल्फर -२०० का एक खुराक देकर एक घंटे के बाद तीन चार खुराकें रस टक्स -२०० का दें तीन तीन घंटे के अंतराल पर .
Monday, August 17, 2009
स्वाइन फ़्लू या शूकर इन्फ़्लूएंजा
शूकर इन्फ्लूएंजा, जिसे एच1एन1 या स्वाइन फ्लू भी कहते हैं, विभिन्न शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणुओं मे से किसी एक के द्वारा फैलाया गया संक्रमण है। शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु (SIV-एस.आई.वी), इन्फ्लूएंजा कुल के विषाणुओं का वह कोई भी उपभेद है, जो कि सूअरों की महामारी के लिए उत्तरदायी है। 2009 तक ज्ञात एस.आई.वी उपभेदों में इन्फ्लूएंजा सी और इन्फ्लूएंजा ए के उपप्रकार एच1एन1 (H1N1), एच1एन2 (H1N2), एच3एन1 (H3N1), एच3एन2 (H3N2) और एच2एन3 (H2N3) शामिल हैं। इस प्रकार का इंफ्लुएंजा मनुष्यों और पक्षियों पर भी प्रभाव डालता है। शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु का दुनिया भर के सुअरो मे पाया जाना आम है। इस विषाणु का सूअरों से मनुष्य मे संचरण आम नहीं है और हमेशा ही यह विषाणु मानव इन्फ्लूएंजा का कारण नहीं बनता, अक्सर रक्त में इसके विरुद्ध सिर्फ प्रतिपिंडों (एंटीबॉडी) का उत्पादन ही होता है। यदि इसका संचरण, मानव इन्फ्लूएंजा का कारण बनता है, तब इसे ज़ूनोटिक शूकर इन्फ्लूएंजा कहा जाता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से सूअरों के सम्पर्क में रहते है उन्हें इस फ्लू के संक्रमण का जोखिम अधिक होता है। यदि एक संक्रमित सुअर का मांस ठीक से पकाया जाये तो इसके सेवन से संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता। 20 वीं शताब्दी के मध्य मे, इन्फ्लूएंजा के उपप्रकारों की पहचान संभव हो गयी जिसके कारण, मानव मे इसके संचरण का सही निदान संभव हो पाया। तब से ऐसे केवल 50 संचरणों की पुष्टि की गई है। शूकर इन्फ्लूएंजा के यह उपभेद बिरले ही एक मानव से दूसरे मानव मे संचारित होते हैं। मानव में ज़ूनोटिक शूकर इन्फ्लूएंजा के लक्षण आम इन्फ्लूएंजा के लक्षणों के समान ही होते हैं, जैसे ठंड लगना, बुखार, गले में ख़राश, खाँसी, मांसपेशियों में दर्द, तेज सिर दर्द, कमजोरी और सामान्य बेचैनी।
लक्षण
इस के लक्षण आम मानवीय फ़्लू से मिलते जुलते ही हैं – बुखार, सिर दर्द, सुस्ती, भूख न लगना और खांसी. कुछ लोगों को इससे उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं. गंभीर मामलों में इसके चलते शरीर के कई अंग काम करना बंद कर सकते हैं, जिसके चलते इंसान की मौत भी हो सकती है.
बचाव
मुँह और अपनी नाक को ढक कर रखें , खासकर तब जब कोई छींक रहा हो ।
बार-बार हाथ धोना जरूरी है;
अगर किसी को ऐसा लगता है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है तो उन्हें घर पर रहना चाहिये। ऐसी स्थिति में काम या स्कूल पर जाना उचित नहीं होगा और जहां तक हो सके भीड़ से दूर रहना फायदेमंद साबित होगा।
अगर सांस लेने में तकलीफ होती है, या फिर अचानक चक्कर आने लगते हैं, या उल्टी होने लगती है तो ऐसे हालात में फ़ौरन डॉक्टर के पास जाना जरूरी है.
साभार : विकीपीडिया ( हिन्दी )